उसने मुझसे कहा कि- वो जा रही है,
कभी ना वापस आने के लिए।
एक ऐसे सफर पर
जिसका रास्ता मेरी गली से हो कर नही गुजरता।
उसने नम आँखों से मुझको देखा,
और मैंने खाली आँखों से उसको।
वो कुछ पलों की खामोशी सब कह गई,
और टूटते दिलों की चीखें उसमें दब कर रह गई।
मैंने कहा उससे कि-
बिना तुम्हारे मैं कैसे जी सकता हूं,
ये गुनाह है मेरे लिए
मैं इसे कैसे कर सकता हूं।
लेकिन शब्दों और भावनाओं की जंग मे,
जीत हमेशा भावनाओं की ही होती है।
शायद़ मेरे शब्द झूठे थे,
और उसके जज्बात सच्चे।
और वो चली गई,
कभी ना वापस आने के लिए।
अपनी ही तलाश में,
खुद को पाने के लिए।
छोड़ कर मुझको अकेला,
अपनी तन्हाई के साथ।
अपने झूठे शब्दों के साथ,
अपनी बेवफाई के साथ।
और आज- मैं अपनी तन्हाई मे,
इस कदर खो गया हूं।
सांसें तो चल रही हैं,
पर मुर्दा हो गया हूं।
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